झारखंड में मुख्य सचिव पद से राजबाला वर्मा की विदाई और सुधीर त्रिपाठी की ताजपोशी के साथ ही राज्य सरकार के बोल भी बदलते दिखने लगे. पदभार ग्रहण करते ही नए मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने जिस तरह पत्थर गढ़ी वाले मामले में संवाद की बात की और पत्थर गढ़ी को राष्ट्र विरोधी काम नहीं माना, वह अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है.
राजबाला वर्मा के वक्त शासन पत्थर गढ़ी करने वालों को देशद्रोही बताने की कोशिश में लगा था. इससे स्थिति और बिगड़ रही थी. नए सीएस ने साफ किया कि नाराज गांव वाले कुछ कहना चाहते हैं, जिसे सुने जाने की जरूरत है. इस बयान से लोकतांत्रिक मर्यादा को बल मिला है. जो लोग आदिवासी समुदाय के एक बड़े हिस्से को देशद्रोही बता कर उन पर कार्रवाई करने की बात कर रहे थे, वह लोग अब अलग-थलग पड़ जाएंगे. ऐसे कई मामले में शायद अब सरकार डंडे की नहीं संवाद की भाषा बोलेगी, जो राजनीति और विकास की अनिवार्य शर्त है.