नोटबंदी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश पर आर्थिक इमरजेंसी थोपी। जानबूझकर जनता को परेशान किया। महीनों लोग बैंक और एटीएम में लाइन लगा कर खड़े रहे। देश में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो नोटबंदी करारी चोट से प्रभावित नहीं हुआ हो। इसे विडंबना ही कहिए की नोटबंदी की वजह से सैकड़ों लोग मरे। लेकिन पीएम ने एक बार भी इन गरीबों की मौत पर संवेदना प्रकट नहीं की।
श्री सहाय ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि जो व्यक्ति गुजरात दंगे से लेकर नोटबंदी में मरे लोगों के प्रति सहानुभूति नहीं रखता वो निर्दोष लोगों का हत्यारा है। कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को इस फैसले से भारी नुकसान हुआ है। यूपीए के शासन काल में देश की जीडीपी 7.50 फीसदी के आसपास थी जो अब घटकर 5.50 फीसदी के करीब आ गई है। इससे देश को लगभग 4-5 लाख करोड़ का घाटा हुआ है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। पूरे देश में उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं। लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। रियल एस्टेट सेक्टर तो अभी भी इसकी मार से उबर नहीं सका है। इससे जुड़े ईंट भट्ठे से लेकर मजदूर और मिस्त्री के खाने पर भी आफत आ गई है।
मनमोहन सिंह ने जब मोदी जी को आगाह किया की नोटबंदी का फैसला देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा तो भाजपा और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी बात को मानने से इनकार कर दिया। आज एक साल बाद देश के हालात सब के सामने हैं। नोटबंदी के समय कहा गया कि था कि देश में तीन लाख करोड़ काला धन नकदी के रूप में मौजूद है। पर पूरा पैसा बैंको में वापस आ गया। परेशानी के सिवाय लोगों को कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
उन्होंने रघुवर सरकार के खिलाफ भी गरीबों की अनदेखी के आरोप लगाये, कहा कि राज्य में मजदूर भूख से तड़पकर मर रहे हैं। किसान कर्ज की बोझ तले दबकर आत्महत्या कर रहे हैं। पर सरकार जश्न मनाने में व्यस्त है। वसूली करने में मस्त है। रघुवर सरकार हो या मोदी सरकार सभी पूंजीपतियों की दलाली कर रहे हैं।