यादव और अल्पसंख्यक मुस्लिम वोटरों की चट्टानी एकजुटता के बाद राजद ने अति पिछड़ों के बीच सेंधमारी तेज़ कर दी है. कुशवाहा मतों के ध्रुवीकरण की तैयारियों के बाद अब राजद धानुक सम्मेलन कर बिहार के राजनीतिक रूप से अति सक्रिय धानुक समाज के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिशों में लग गया है. राजद की इन तैयारियों की वज़ह से अतिपिछडा की राजनीति करनेवाले दलों के बीच सियासी सरगर्मी तेज़ हो गयी है. 15 फरवरी को पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित धानुक सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ राजद नेता प्रोफेसर रामबदन राय करेंगे. कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी करेंगी. धानुक सम्मेलन के मुख्य अतिथि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेज़स्वी यादव होंगे जबकि तेजप्रताप यादव कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होंगे. रामचंद्र पूर्वे, मंगनीलाल मंडल, आलोक मेहता, जगदानंद सिंह समेत तमाम बड़े नेता धानुक सम्मेलन में शिरकत करेंगे.
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए प्रोफेसर रामबदन राय ने बताया कि धानुक जाति को उनकी आबादी के हिसाब से विधानसभा और लोकसभा में नुमाईन्दगी मिले, इसकी मांग धानुक सम्मेलन के मंच से की जायेगी. उन्होंने कहा कि इसके अलावा अति पिछड़े एवं दलित नौजवानों को 5 करोड़ तक के टेंडर में आरक्षण मिले. उन्होंने मांग की कि दलित और अति पिछड़े नौजवानों को बैंक गारंटी सरकार उपलब्ध कराए.
रामबदन राय ने बताया कि मंडल कमीशन की अनुशंसा को देखते हुए अति पिछड़ों के लिए अलग से कोटा निर्धारित किया जाये. उन्होंने कहा कि देश के 19 राज्यों में धानुक अनुसूचित जाति में शामिल है, बिहार में भी इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले. इस धानुक सम्मेलन को लेकर पूरे बिहार में तैयारियां की जा रही है. ऐसे में धानुक समाज की यह एकजुटता दूसरे दलों के लिए खतरे की घंटी साबित होनेवाली है.