चर्चित चारा घोटाले की जांच की जद में राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा भी आ सकती हैं। मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के चारा घोटाले में संलिप्तता को लेकर झामुमो ने इस संबंध में त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं मुख्यमंत्री से इसके लिए स्पष्टीकरण देने को भी कहा गया है।
मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर आरोप है कि उनके चाईबासा में उपायुक्त के कार्यकाल के दौरान हुए कोषागार की अनियमितताओं को लेकर जांच एजेंसी को अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। बताते चलें कि संयुक्त बिहार में कई जिलों के कोषागार से अनियमितता सामने आई थी जिनमें चाईबासा, देवघर, रांची दुमका शामिल हैं। तत्कालीन बिहार और वर्तमान झारखंड के सभी प्रभावित जिलों में पदास्थापित तत्कालीन उपायुक्तों, कोषागार पदाधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में है। इसलिए चारा घोटाले को लेकर हुई अनियमितता की जांच की जद में राजबाला वर्मा भी थीं। लेकिन राजबाला ने जांच एजेंसी द्वारा भेजे गए 30 रिमाइंर का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि चाईबासा कोषागार से संबंधित एक मामले में तत्कालीन उपायुक्त और पूर्व मुख्यसचिव सजल चक्रवर्ती को सजा हो गई है वहीं पूर्व मुख्यसचिव ए के बसु पर भी कार्रवाई हो चुकी है। पर राजबाला वर्मा के मामले में ऐसा क्यूं है कि बार-बार जांच एजेंसी द्वारा रिमाइंडर दिए जाने के बाद भी वो इस संबंध में न तो कोई जवाब दे रही हैं और न ही सरकार इस ओर कोई ध्यान दे रही है।