प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने कहा है कि सरकार प्रमण्डलों में बजट पूर्व संगोष्ठी का आयोजन अपने निराशाजनक प्रदर्शन पर परदा डालने के लिए कर रही है. यह एक पॉलिटिकल स्टंट के अलावा और कुछ भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि जब सरकार के कई विभाग विकास मद की राशि खर्च कर पाने में फिसड्डी रह गये हों और सरकार राजस्व प्राप्ति के तय लक्ष्यों को पाने में भी पिछड़ रही हो, यही नहीं सरकार के व्यय की गुणवत्ता पर महालेखाकार की रिपोर्ट में आपत्तिजनक कंडिकाएं हों तब सरकार को ज्यादा गंभीर और संवेदनशील होना चाहिए.
डॉ अजय कुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कृषि विभाग अपने योजना मद की 1096 करोड़ रुपए की राशि में अक्टूबर माह तक मात्र 137 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाया है वहीं कल्याण विभाग 3.5 प्रतिशत राशि तथा समाज कल्याण अपने योजना मद का 10 प्रतिशत राशि अगस्त माह तक खर्च कर पाया है. ये आंकडे दिखाते हैं कि सरकार के काम-काज निराशाजनक है. बजट पेश करते समय जेन्डर बजट की बात करके रघुवर सरकार श्रेय लेने की होड़ में लगी रहती है पर जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है. वित्त वर्ष 2015-16 में ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’, किशोर एवं महिला स्किल डेवलपमेन्ट, नारी उत्थान कोष और विधवा कल्याण जैसे कार्यक्रमों के पैसे खर्च करने में सरकार विफल रही है. ऐसे में उसे सरकारी खजाने को दिखावे के कार्यक्रम पर खर्च करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है.
उन्होंने कहा कि कैग रिपोट यह बताती है कि सरकार का राजकोषीय दायित्व भी अनुशासित सीमा में नहीं है। यह 14वें वित्त आयोग की अनुशंसित सीमा को पार कर गया है ऐसे में सरकार को अपने कार्यक्रमों गंभीरता से क्रियान्वित करना चाहिए.
उन्होंने ने कहा कि सोशल सेक्टर में व्यय के मामले में सामान्य श्रेणी के अन्य राज्यों की तुलना में झारखण्ड क्यों पीछे रह गया। इस पर सरकार को सोचना होगा। विकासात्मक और पूंजीगत व्यय की प्राथमिकता के साथ-साथ शिक्षा एवं स्वास्थ्य के व्यय के आकार को भी प्राथमिकता देना होगा तभी राज्य का अपेक्षित विकास हो पायेगा।