पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में सिर्फ त्रिपुरा की सियासी तस्वीर साफ़ है, यहाँ भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल है लेकिन मेघालय और नगालैंड में वोटरों ने किसी को स्पष्ट जनादेश न देकर राजनीतिक कारोबारियों को दुकान लगाने के लिए मजबूर कर दिया है. इन दोनों ही राज्यों में सबसे बड़े दल को सत्ता ना मिले इसके लिए भाजपा के सारे रणनीतिकार नार्थ ईस्ट में कैंप किये हुए हैं. ताज़ा अपडेट के मुताबिक़ मेघालय में सतर्क कांग्रेस ने बहुमत का दावा करते हुए राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. कांग्रेस के पास यहाँ 21 विधायक हैं, एनपीपी के 19 विधायक हैं, वह दूसरी बड़ी पार्टी है. 13 निर्दलीय विधायक यहां रिकॉर्ड संख्या में जीते हैं. 2 सीटें जनता ने भारतीय जनता पार्टी को भी दी है. लेकिन इन्हीं 2 सीटों के भरोसे भाजपा यहां अपने मन की सरकार बनाने की कवायद में जुट गयी है. निर्दलियों की बल्ले-बल्ले है. सबका मोल भाव हो रहा है.
त्रिपुरा में भाजपा भारी बढ़त के साथ जीती है, उसने 25 साल के वाम सत्ता को उखाड़ फेंका है. देश के सबसे ईमानदार मुख्यमंत्री की छवि के बावजूद सीपीएम को यहां मुंह की खानी पड़ी. हार के बाद रविवार को मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने राज्यपाल तथागत राय से मिलकर इस्तीफा दे दिया है.
नगालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट सबसे बड़ा दल बनकर उभरा है, लेकिन यहां भी भाजपा के रार के चलते सत्ता के आगे के रास्ते उलझे हुए दिख रहे हैं. यहाँ भाजपा ने ही चुनाव से पहले एनपीएफ को दोफाड़ किया था और एक दुसरे समूह के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली. यहाँ कांग्रेस की स्थिति सबसे बदतर रही. पार्टी अपना खाता तक ठीक से नहीं खोल पाई.