-तभी तो CNT और SPT एक्ट की फाइल दबाकर बैठा है राजभवन
झारखण्ड राजभवन दो माह से अधिक समय से CNT और SPT की फाइल दबाकर बैठा है. राजनीति के जानकार मानते हैं कि ऐसा दिल्ली के इशारे पर किया जा रहा है. दिल्ली और रांची दोनों जगह भाजपा की सरकार है. ऐसे में जिस तेज़ी से रघुवर सरकार ने विधान सभा से पास कराकर इस बिल को मंजूरी के लिए राजभवन भेजा. उसी तेज़ी से इसके राजभवन से भी क्लियर होने की उम्मीद थी, पर ऐसा नहीं हुआ.
पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि इन दोनों एक्ट में बदलाव के लिए मुख्यमंत्री की तेज़ी केंद्र को रास नहीं आयी. राज्य में जिस तरह विरोध प्रदर्शन हुए. खुद भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने अलग लाइन ले लिया. अर्जुन मुंडा जैसे बड़े नेता इसके विरोध में नज़र आये. सहयोगी आजसू ने विरोध किया, कई मंत्री और विधायक विरोध में रहे.
इसके बाद हुए उप चुनाव में भाजपा को लिट्टीपाड़ा में पार्टी की फजीहत हुई. इसके बाद दिल्ली ने राजनीतिक फायदे नुकसान का आकलन तेज़ कर दिया. केंद्र को लगा कि अभी इसे लागु करना सही नहीं होगा तो रणनीति यह बनी कि राजभवन इस फाइल को दबा दे. इस तरह पार्टी की किरकिरी होने से बच जायेगी तभी से राजभवन इसपर कुंडली मारकर बैठ गया है.
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