गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों पर होने वाले उपचुनाव से प्रदेश की सियासी हवा किस ओर बयार किस ओर बह रही है उसका तो पता चलेगा ही इसके साथ ही सपा और कांग्रेस के सियासी हैसियत का भी अंदाजा लग जाएगा। सूबे की ये दोनों सीटें बीजेपी के लिए भी अपने साख को बचाने की दृष्टि से काफी अहम हैं। क्योंकि ये दो सीटें प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की हैं इसलिए बीजेपी के भी पसीने छूट रहे हैं। वैसे चुनावी गणित और समीकरणों में भाजपा ही भारी दिख रही है। वहीं, लोगों की यह जिज्ञासा भी रहेगी कि इन सीटों पर भाजपा पहले जैसा प्रदर्शन बरकरार रख पाती है या नहीं। साथ ही जीत का अंतर भी बड़ा सियासी संदेश देने वाला होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के त्यागपत्र से खाली हुईं सीटों पर हो रहे उपचुनाव में पार्टी ने भले ही प्रत्याशी घोषित न किए हो, पर राजनीतिक समीकरण दुरुस्त करने की तैयारी पहले से ही शुरू कर दी थी। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने दोनों स्थानों पर संगठन और विधायकों की टीम लगा रखी है।
फूलपुर में पार्टी के प्रदेश मंत्री अमरपाल मौर्य, प्रदेश मंत्री गोविंद शुक्ल, विधायक भूपेश चौबे और गोरखपुर में प्रदेश मंत्री कौशलेंद्र सिंह, प्रदेश मंत्री अनूप गुप्ता और विधायक श्रीराम चौहान को प्रभारी नियुक्त किया है। ये लोग लगभग एक पखवाड़े से दोनों स्थानों पर डेरा डाले हैं।