प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन की आलोचनाओं के बीच आधारशिला रख दी। देश की पहली बुलेट ट्रेन का शिलान्यास गुरुवार को गुजरात के अहमदाबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे ने किया। आधारशिला रखने के बाद पीएम मोदी ने भाषण भी दिया और विपक्षियों पर तंज कसने के साथ ही इस परियोजना के महत्व को समझाया। इसके साथ ही उन्होंने परियोजना से गुजरात को होने वाले फायदे को भी समझा दिया। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को समय से पहले, जिस धूमधाम के साथ नरेंद्र मोदी ने शुरू किया है, उसे देखते हुए इसके सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। मोदी ने अपने अंदाज के मुताबिक पूरे कार्यक्रम को एक मेगा इवेंट बना दिया। यही वजह है कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ-साथ एनडीए में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना भी इसे मोदी का सियासी दांव बता रही है।
एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में इसकी जमकर आलोचना की है। संपादकीय में लिखा गया है कि महाराष्ट्र के विधायक और सांसद अपने-अपने क्षेत्र में रेल परियोजनाओं की मांग कर रहे हैं। उन्हें अधर में रख कर बुलेट ट्रेन बिना मांगे मिल रही है। किसानों की कर्जमुक्ति की मांग पर कहा जाता है कि अराजकता फैल जाएगी लेकिन प्रधानमंत्री के अमीर सपने के लिए 30 से 50 हजार करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। इससे अराजकता नहीं फैलेगी क्या? इसका जवाब मिलना चहिये, किसानों की कर्जमुक्ति की मांग की सालों से की जा रही है बुलेट ट्रेन की मांग तो किसी ने नहीं की। मुखपत्र में कहा गया है कि मोदी का ये सपना आम आदमी का सपना नहीं अमीरों और व्यापारी वर्ग के कल्याण के लिए है।
वहीं कांग्रेस को लगता है कि जापान के पीएम का सीधे गुजरात जाना, वहां रोड शो करना, फिर अहमदाबाद में शिलान्यास करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासी चाल है। इसके जरिये मोदी दो महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतना चाहते हैं। पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि जापान जैसे देश के पीएम को दिल्ली न बुलाकर अहमदाबाद ले जाना आश्चर्यजनक है। अगर गुजरात में कुछ महीनों बाद चुनाव न होते तो कोई आपत्ति नहीं थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने पार्टी मुख्यालय में विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि पिछले साढ़े तीन साल से वह देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास परियोजनाओं का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए करते हैं। अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना का भी उन्होंने इसी मकसद के लिए इस्तेमाल किया और दो साल तक इसे लटकाए रखा। गुजरात विधानसभा चुनाव मे इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिले इसलिए चुनाव से पहले इस परियोजना की आधारशिला रखी गयी। अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना की व्यावहारिकता रिपोर्ट का काम कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने तैयार करायी थी। रिपोर्ट तैयार करने में दक्षिण कोरिया तथा चीन ने भी इच्छा जाहिर की थी लेकिन अंत में यह काम जापान को सौंपा गया। जापान ने दो साल में परियोजना रिपोर्ट तैयार कर अगस्त 2015 में मोदी सरकार को सौंप दी थी लेकिन इस परियोजना का राजनीतिक फायदा लेना था इसलिए गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले धूमधाम के साथ इसकी आधारशिला रखी गयी।
आपको बता दें कि अहमदाबाद में पीएम मोदी ने शिंजो आबे के साथ 8 किलोमीटर की दूरी का रोड शो भी किया है। जिसको देखने के लिए अच्छी खासी भीड़ इकट्ठा थी और लोगों में उत्साह भी था। दरअसल कुछ महीने बाद ही गुजरात विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले 19 साल से बीजेपी लगातार गुजरात की सत्ता पर आसीन है। माना जा रह है कि नरेंद्र मोदी के 2014 में गुजरात से दिल्ली की सत्ता के सिंहासन पर बैठते ही सूबे पर बीजेपी की पकड़ कमजोर होने लगी है। बीजेपी इस बात को बाखूबी समझती है, इसीलिए वो मोदी के बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट के जरिए न सिर्फ हाल ही में होने वाले चुनाव बल्कि 2019 के लोकसभा और 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी वोट बटोरना चाहती है।
वहीं पीएम मोदी के इस भाषण की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने जता दिया कि वह गुजरात हो या फिर केंद्र वे कम से कम 2022 तक तो सत्ता का केंद्र बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब यह प्रोजेक्ट 2022 में पूरा होगा तो उनकी इच्छा है कि वह इस ट्रेन के उद्गघाटन में पीएम शिंजो आबे के साथ बैठकर सफर करें। वहीं इस प्रोजेक्ट से गुजरात को होने वाले फायदे को भी बार-बार गिनाया। इससे साफ है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस प्रोजेक्ट के शुरू होने का जमकर गुणगान करेगी। इसके बाद के चुनावों में इस प्रोजेक्ट के शुरू होने का प्रचार किया जाएगा।