भले ही कांग्रेस अध्यक्ष मिशन 2019 को लेकर धुंआधार तैयारी कर रहे हों, पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की बात कह रहे हों, लेकिन देश के सबसे बड़े सूबे में कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं है। इधर, जिस प्रकार यूपी में वोटों का जातिगत बंटवारा हुआ है उसमें कांग्रेस फिट नहीं बैठ पा रही है। कांग्रेस के परंपरागत वोट ब्राह्मण और दलित धीरे-धीरे बसपा और बीजेपी की ओर खिसकते चले गए। उधर, सपा ने मुसलमानों और यादवों के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों के सहारे सूबे में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। इन सब के बीच बीजेपी ने हिंदुत्व के एजेंडे के सहारे गैर यादव ओबीसी जातियों, जाटव दलितों और अगड़ी जातियों के समीकरण के तहत अपनी जमीन मजबूत कर ली।
इन सब के बीच किसी भी सियासी समीकरण साधने में कांग्रेस धीरे-धीरे पिछड़ती चली गई और सूबे की राजनीति में हाशिए पर चली गई। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी वह अच्छा नहीं कर पाई। लेकिन अब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने के लिए अपने परंपरागत ब्राह्मण वोट की तरफ लौटने की तैयारी कर ली है। प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राज बब्बर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है। इसके बावजूद सूबे में पार्टी की कमान ब्राह्मण समुदाय के हाथों में सौपने के लिए आलाकमान ने मन बना लिया है।
कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथों में आने के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर की विदाई तय मानी जा रही थी। सूबे के बदलते सियासी समीकरण में राज बब्बर फिट नहीं बैठ रहे थे। प्रदेश की राजनीति फिर एक बार जातीय समीकरणों की तरफ लौटती दिख रही है। ऐसे में राज बब्बर की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई तय थी। जबकि राज बब्बर ने पिछले एक साल के अपने कार्यकाल में जमकर मेहनत की। लेकिन सूबे की जातीय राजनीति के चलते कांग्रेस को वो मजबूत नहीं कर सके।
कहा जा रहा है कि योगी के दुर्ग गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी के उपेंद्र शुक्ल की हार से ब्राह्मण समुदाय में नाराजगी बढ़ी है। उन्हें लगता है कि उपेंद्र शुक्ल की हार स्वाभाविक नहीं है बल्कि जानबूझकर राजपूतों ने उन्हें हरवाया। गोरखपुर में राजपूत बनाम ब्राह्मण के बीच वर्चस्व की जंग जगजाहिर है। ब्राह्मणों की इसी नाराजगी को कांग्रेस भुनाने की तैयारी में है। राज बब्बर के बाद यूपी कांग्रेस की कमान ब्राह्मण समुदाय के हाथों में दिए जाने की पार्टी ने योजना बनाई है। कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में फिलहाल प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद, राजेश मिश्रा और ललितेशपति त्रिपाठी हैं और इनमें से किसी एक के नाम पर मुहर लगाई जा सकती है। बता दें कि यूपी में 12 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं। एक दौर में ये कांग्रेस का परंपरागत वोट था। कांग्रेस दोबारा इन्हें जोड़ने की कवायद कर रही है।