गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को शुक्रवार को मध्यप्रदेश का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके साथ ही अब यह भी तय हो गया की आनंदीबेन पटेल अब गुजरात की राजनीति से रुखसत हो गई हैं। जानकारों की मानें तो आलाकमान उन्हें राज्य की सियासी तस्वीर से दूर करने की कवायद इसलिए भी कर रहा था कि उन्हें पटेल के बढ़ते उभार से दूर रखा जाय। राजनीतिक रूप से मजबूत पटेलों के गुजरात की राजनीति में बढ़ते दखल ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी को उनके अपने ही घर में बहुत हद तक कमजोर कर दिया है।
देखा जाय तो गुजरात में आनंदीबेन काफी कद्दावर नेता बनकर उभरी थीं। उनके राजनीति कैरियर को नजर दौड़ायें तो आनंदीबेन (76) गुजरात की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वह 2014 से 2016 के बीच इस पद पर रही थी। आनंदीबेन पटेल 2014 में गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। उन्होंने 2015 में स्थानीय निकाय चुनाव में हुई भाजपा की हार और पाटीदार आंदोलन की वजह से अगस्त, 2016 में इस्तीफा दे दिया था। घटलोदिया निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली पटेल, 1987 में भाजपा में शामिल हुईं और 1990 के दशक के अंत में विधायक निर्वाचित हुईं।
बीते साल गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह से कहा था कि अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की उनकी इच्छा नहीं है। पटेल ने चार अक्टूबर (2017) को लिखे एक पत्र में चुनाव न लड़ने का कारण अपनी उम्र (75) बताया था। उन्होंने कहा था कि योग्य और जीतने वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा जाए।
आनंदीबेन पटेल के राज्यपाल बनने पर भाजपा नेता सह समाज कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी, झारखंड राज्य आवास बोर्ड के अध्यक्ष जानकी यादव, युवा मोर्चा दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, प्रभारी उमेश साहू सहित बिहार के भाजपा नेता उपेंद्र चौहान और भाजपा नेता महेंद्र चौबे ने उन्हें बधाई दी है।