मनोज कुमार सिंह
रांची में गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष आजसू छात्र संगठन द्वारा आमरण अनशन की शुरुआत कर दी गई है. झारखंड की स्थानीय एवं नियोजन नीति के विरुद्ध चलाए जा रहे इस आंदोलन का स्वरूप बड़ा होना है. आजसू पार्टी का जन्म झारखंड आंदोलन से हुआ है. झारखंड राज्य बनने के पहले आजसू ने पूरे राज्य में छात्र आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाई थी. लगता है कि इतिहास अपने आप को दोहराने जा रहा है. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने छात्र संगठन को आगे करके अपनी मंशा जाहिर कर दी है. लगता है कि पार्टी ओबीसी आरक्षण, स्थानीय और नियोजन नीति को लेकर पूरे राज्य में एक बड़े आंदोलन की ओर बढ़ रही है. इस आंदोलन के सहारे पार्टी अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है.
इस आंदोलन के रणनीतिकार यह मानते हैं कि वर्तमान में यही दोनों मुद्दे सर्वाधिक चर्चा का विषय है, पार्टी के महासचिव देव शरण भगत का कहना है कि आजसू के लिए आंदोलन कोई नया कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह पार्टी का मूल स्वरूप है. ओबीसी वर्ग से आने वाले नौजवानों के भविष्य को बर्बाद होने से बचाने के लिए पार्टी किसी भी प्रकार के आंदोलन के लिए तैयार है. राज्य की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले लोग यह मानते हैं कि OBC का मुद्दा आने वाले चुनाव का मुख्य मुद्दा होगा. वहीं राज्य के दूसरे दलों के लोग इस आंदोलन पर अपनी शंका जाहिर कर रहे हैं लेकिन दबी जुबान से यह स्वीकार करते हैं कि राज्य के ओबीसी के साथ संवैधानिक न्याय नहीं हो पा रहा है. विशेषज्ञों की राय जो भी हो लेकिन आजसू आंदोलन की राह पर चल निकला है, अब देखना यह है कि पार्टी इस आंदोलन को किस ऊंचाई की ओर ले जाती है. विगत कई दशकों के सामाजिक आंदोलनों की पड़ताल की जाए तो यह सच्चाई सामने आती है कि वे सभी आंदोलन युवाओं के द्वारा ही प्रेरित होते रहे हैं. आज हजारों की संख्या में जुटे युवाओं ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि वह पीछे हटने वाले नहीं हैं, धीरे-धीरे यह मामला पूरे राज्य में फैलेगा और आंदोलन का आकार एक बड़ा स्वरूप ले लेगा.