-राघवेन्द्र-
बाबा गुरमीत सिंह और आसाराम जैसे सैकड़ों नकली बाबा जेल में हैं और आराम की रोटियां तोड़ रहे हैं। बाहर उनके चेले कोहराम मचा रहे हैं, निर्दोषों को मार रहे हैं, घर और गाड़ियाँ फूंक रहे हैं। राजनीतिज्ञों के हाथ तो वोट बैंक की वज़ह से बंधे हैं पर पुलिस के हाथ-पांव सब इन्होंने बांध रखे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आम लोग आखिर इन नकली बाबाओं के चक्कर में फंसते ही क्यों हैं!
मध्यवर्गीय समाज के लोग हमेशा इस उम्मीद में जीते हैं कि किसी न किसी दिन कोई चमत्कार होगा और उनके सारे दुःख -दर्द हमेशा के लिए दूर हो जायेंगे। ठग बाबाओं के पेड चेले ऐसे बाबाओं का झूठा तिलस्म गढ़ते हैं। ऐसे बाबा के चेले मीडिया में भी होते हैं जो उनका झूठा स्वप्न संसार रचते हैं। बस फिर क्या है ऐसे शैतानों को भगवान बनाने का काम शुरू हो जाता है। इसलिए किसी इंसान को भगवान् मत बनाईये, बल्कि ऐसे लोगों को मारिये जूते चार।
जरा सोचिये! आप जिस भी धर्म से जुड़े हैं, वहां आपको मुक्ति और वैराग्य का स्थाई मार्ग बताया गया है। लेकिन हम धर्म और आस्था में भी शॉर्टकट चाहते हैं। हम चाहते हैं कि कोई बाबा चुटकियों में बेटे को नौकरी दिला दे, बेटी की शादी किसी पूंजीपति से करा दे। बीमार मां के घुटने के दर्द को फूंक मारकर छू-मंतर कर दे। इस चक्कर में लोग अपनी बहन-बेटियों को लेकर ऐसे बाबा के मठ में पहुंच जाते हैं और अपनी दुर्गति कराते हैं। बाबा आपकी आस्था से खिलवाड़ करते हैं, क्योंकि वो आपका लालच समझते हैं। ऐसे बाबा बच्चियों से बलात्कार करते हैं, फिर पकड़े जाने के डर से पीड़ित की हत्या कराने से भी नहीं चुकते।
लोगों को अपने लालच और सफलता के शॉर्टकट से बचना होगा, नहीं तो एक राम रहीम की जगह हजार गुरमीत पनपते रहेंगे। एक आसाराम की जगह हजारों आसाराम रक्तबाहू की तरह आपकी आस्था का बलात्कार करते रहेंगे। आस्था का यह कारोबार अरबों का है। इसे ठीक से समझने की जरुरत है।
आज 15 वर्ष की लड़ाई के बाद एक साध्वी को न्याय मिला, पर इस लड़ाई में उसका सबकुछ बर्बाद हो गया। उसके भाई की हत्या गुरमीत के गुंडों ने कर दी। पत्रकार ने सवाल उठाया तो उसकी भी हत्या कर दी गई। 15 सालों से जिस दहशत में वो गुजर रही होगी, उसकी कल्पना ही सिहरा देती है। अगर अब भी हमारा धर्मांध समाज नहीं चेता तो फिर कल हत्या और बलात्कार का यह आरोपी बाहर आ जायेगा और धर्म की एक और नकली दुकान खोल लेगा। जहां फिर किसी साध्वी के सपने इसके हाथों कुचले जायेंगे।
हमेशा याद रखें! हमारा कर्म ही हमें सफल या असफल बनाता है। इसके लिए किसी नकली बाबा की जरुरत नहीं है। अगर आप प्रारब्ध में यकीन करते हैं तब भी आपको पता ही होगा कि किसी बाबा में आपका प्रारब्ध बदलने की क्षमता नहीं होती। इसलिए पाखंड के धंधे का हिस्सेदार मत बनिए और ऐसे बाबाओं से समाज और देश को बचाईये।