आम आदमी पार्टी को भले ही दिल्ली में सरकार चलाने में पसीने छूट रहे हों. उसके कई कद्दावर नेता संगठन छोड़ रहे हों या पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगा रहे हों लेकिन पार्टी अपने विस्तार को लेकर लगातार हाथ पैर मार रही है. अब उत्तर भारत के बाद अब मिशन साउथ के तहत कर्नाटक में दस्तक देने जा रही है. आप ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान किया है. इसी साल अप्रैल में कर्नाटक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. पिछले दिनों कर्नाटक के लिए AAP के पर्यवेक्षक और पार्टी की पीएसी के सदस्य संजय सिंह ने बेंगलुरु का दौरा भी किया था. इसके अलावा राज्य के पार्टी प्रभारी पंकज गुप्ता कर्नाटक में डेरा जमाए हुए हैं.
बता दें कि कर्नाटक की सत्ता पर कांग्रेस विराजमान है. बीजेपी ने 'कांग्रेस मुक्त भारत' के लक्ष्य को लेकर परिवर्तन यात्रा राज्य में निकाल रखी है. जनता जल (एस) ने पहले से ही अपने जनाधार को बढ़ाने में जमीन पर जुटी हुई है. इस त्रिकोणीय लड़ाई में आप की दस्तक ने राज्य की सियासत को और दिलचस्प बना दिया है. आप नेता सोमनाथ भारती ने कहा कि पार्टी ने दो सप्ताह पहले ही कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था. इसी मद्देनजर पार्टी ने राज्य का सियासी मिजाज समझने के लिए पार्टी के पर्यवेक्षक भी भेजे थे.
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य के प्रभारी पंकज गुप्ता ने बेंगलुरु में कहा, 'हमने अपने सर्वे में पाया कि कर्नाटक के लोगों को आम आदमी पार्टी से उम्मीद है और वो हमें एक भरोसेमंद विकल्प के तौर पर देख रहे हैं. इस लिए पार्टी ने विधान सभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन कितनी और कौन सी सीटों पर ये अभी तय होना बाक़ी है'. जबकी पूर्व प्रधान मंत्री एचडी के नेतृत्व में जेडी (एस), देवेगौड़ा, खुद को दो राष्ट्रीय दलों के विकल्प के रूप में अपने आपको पेश कर रहे हैं. इसके अलावा किसान समूह, साहित्यिक व्यक्तित्व, फिल्म सितारों और यहां तक कि एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने हाल के महीनों में नई पार्टियां लांच की है.
कर्नाटक में कांग्रेस, बीजेपी से मुकाबला करने के लिए आप चुनाव प्रचार में केजरीवाल को आगे करते उतर सकती है. बता दें कि पार्टी ने केजरीवाल के साथ लंच का कार्यक्रम मार्च 2014 में बेंगलुरु में 20000 रुपये प्रति प्लेट धनराशि का आयोजन किया था, इसमें लगभग 200 लोगों ने भाग लिया, जिससे चुनाव के लिए पार्टी ने 50 लाख रुपये जुटाए गए थे. पार्टी विज्ञापन खर्चों के बजाय सोशल मीडिया को अपना मुख्य आधार बनाने की योजना बनाई है.