झारखण्ड का विपक्ष पिछले चार दिनों से प्रदेश की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के पीछे पड़ा है. हर दिन सदन में हंगामा. हर दिन विपक्ष का वाक आउट. चौथे दिन तो हद ही हो गयी. तीसरे दिन जब मुख्यमंत्री विपक्ष को टका सा जवाब दे रहे थे कि राजबाला की गलती छोटी चूक की है, तो मुख्य सचिव के चेहरे पर इत्मिनान की हंसी थी. ये हंसी विपक्ष को चिढाने वाली लगी. बस चौथे दिन सारे विपक्षी महारथी इतनी ही हंसी पर पिल पड़े. बाहर इसका मजाक बनने लगा.
लोग कल तक विपक्ष के सवालों के साथ थे, लेकिन आज तस्वीर दूसरी है. क्या किसी अधिकारी की हंसी भी विपक्ष का सवाल बन सकती है! किसी भी महिला का कम से कम इतना सम्मान तो रहने दें कि वो कब हंसती है और कब रोती है! विपक्ष के जिन नेताओं ने इस हंसी पर सवाल उठाया क्या उनके पास कोई और सवाल नहीं है. बजट सत्र में कई गंभीर मसले हैं, जिनमें मुख्य सचिव पर उठ रहे गंभीर आरोप भी शामिल हैं. लेकिन उनकी व्यक्तिगत बातों को सदन में इशू बनाना क्या कहीं से तर्कसंगत है!
कुछ लोग बाहर सवाल पूछ रहे हैं कि क्या विपक्ष चाहता है कि मुख्य सचिव हमेशा सदन में बैठ कर रोती रहें! यह तो किसी महिला के प्रति सोच का सवाल है. अगर विपक्ष मुख्य सचिव पर व्यक्तिगत स्तर का आरोप लगाएगा तो लोग राजबाला वर्मा के प्रति सहानुभूति रखने लगेंगे. इस तरह विपक्ष अपने सवालों को ही खत्म कर देगा. राजनीतिक रूप से यह विपक्ष की बड़ी गलती है.