जेवीएम की केन्द्रीय प्रवक्ता सुनीता सिंह ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि किसानों के हित को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले रघुवर सरकार के दो चेहरे हैं। भाषणों में तो सरकार किसानों के सबसे बड़े हमदर्द होने का दिखावा करती है परंतु वास्तविकता इससे कोसो दूर है। प्रमाण के तौर पर सूखे से प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मिलने वाले मुआवजा से जुड़े मामले में सरकार की लापरवाही से समझा जा सकता है कि किसानों के प्रति रघुवर सरकार कितनी संजीदा है। इस प्रस्ताव को 31 अक्टूबर, 2019 तक ही कैबिनेट से पारित कर राज्य सरकार द्वारा केन्द्र को भेजना था। रघुवर सरकार द्वारा ससमय इस प्रस्ताव को केन्द्र तक नहीं भेजे जाने के कारण राज्य के हजारों किसान मुआवजा से वंचित हो गए। जिस राज्य में 5000 टन अनाज गोदामों में भरे पड़े हों। वहां गरीबों की मौत भूख से होती है, यह राज्य का दुर्भाग्य है। शर्मनाक पहलू है कि पिछले पांच वर्षों में लगभग दो दर्जन किसानों ने आत्महत्या की है। किसान विरोधी रघुवर सरकार किसानों को अब बरगला नहीं सकते हैं। राज्य की किसानों ने निर्णय कर लिया है कि रघुवर को हटायेंगे और बाबूलाल जी को लाएंगे। पहली बात तो रघुवर जी को इस चुनाव में वोट मांगने का अधिकार ही नही है क्योंकि उन्होंने कहा था कि ‘‘2018 तक सभी घरों में बिजली नही पहुंचा पाया तो इस बार वोट नहीं मागूंगा‘‘। रघुवर जी अपने इस कथन पर अडिग रहने की बजाय फिर से राज्य की जनता को भ्रमित करने में लगे हैं।