प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रवक्ता राजीवरंजन प्रसाद ने कहा कि झारखण्ड को सबसे अधिक भाजपा ने लुटा है.सबसे अधिक भाजपा ही इस राज्य के सत्ता में रही है.उन्होंने कहा कि बेरोजगारी झारखंड का सबसे बड़ा मुद्दा है। सरकार पांच वर्षो के कार्यकाल में बेरोजगारी दूर करने के नाम पर झारखंड को नौजवानों को सिर्फ और सिर्फ ठगने का काम करती चली आ रही है। इस चुनाव में भी नौजवानों के सामने झूंठे आंकड़े पेश करके नौजवानों का वोट लेना चाहती है। चाहे केन्द्र की सरकार हो या राज्य की सरकार हो, आज तक किसी ने 02 करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने के नाम पर या झारखंड सरकार के द्वारा लाखों रोजगार देने के नाम पर सिर्फ और सिर्फ युवाओं को झलने का काम किया गया। कोई नौजवानों को दिल का टुकड़ा बता रहा है कोई रोजगार संबंधित झूठा दावा पेश कर सिर्फ गुमराह करने का कार्य कर रही है।
झारखंड लोकसेवा आयोग द्वार अब तक कम से कम 18 परीक्षाएं ली जानी चाहिए थी। पूरे पांच वर्षों तक सरकार ने जेपीएससी की एक भी परीक्षा नहीं करा पाई। पांच वर्षों के कार्यकाल में जेपीएससी के द्वारा 50 से अधिक विज्ञापन निकाले गये, अधिकत्तर परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया अथवा पुनः आवेदन मंगाया गया। पांच सालों में एक भी जेपीएससी पूरा नहीं कराना सरकार का सबसे बड़ा नकामी है। छठी सिविल सेवा परीक्षा लगातार विवादों में रही।
संवाददाता सम्मेलन में आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, डाॅ राजेश गुप्ता, ऋषिकेश सिंह, अजय सिंह उपस्थित थे।
नियुक्तियां जो हुई
हाईस्कूल – 16584
दारोगा – 2600
झारखंड पुलिस – 530
प्राथमिक शिक्षक – 7384
टीवीएनएल – 102
नगर निगम – 223
उर्जा विभाग – 123
कुल योग – 27423
जबकि झारखंड सरकार लाखों की संख्या में रोजगार देने का दावा कर रही है जो कि पूरी तरह से झूठ का पुलिंदा है।
देश के जिन 10 राज्यों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है उनमें से छह में भाजपा की सरकार सत्तासिन है अथावा भाजपा गठबंधन की सरकार है। देश में गंभीर आर्थिक मंदी के बीच संेटर फाॅर माॅनिट्रिंग इंडिन इकाॅनमी, (ब्डप्म्) के बेरोजगारी से जुड़े ताजा सर्वे के आंकड़ों में यह बात सामने आयी है।
झारखंड में हर पांच युवा में एक बेरोजगार हैं।
46 प्रतिशत पोस्ट ग्रेजुएट तथा 49 प्रतिशत ग्रेजुएट पास युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
महिला युवाओं की बेरोजगारी दर पुरूषों के अपेक्षा 12 प्रतिशत अधिक है।
शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी दर में मौजूदा स्थिति की बात करतें तो यह दर स्नात्तक अनुर्तीण 25 प्रतिशत हायर सेंकेंडरी में 28.7 प्रतिशत, सेंकेंडरी में 18.5 प्रतिशत, मीडिल में 12.6 प्रतिशत जबकि प्राथमिक में बेरोजगारी का यह दर 10.1 प्रतिशत है।
रोजगार के तालाश में झारखंड के विभिन्न जिलों से लाखों के तदाद में आज भी युवाओं का पलायन जारी है।
सहायक कोटी में राज्य में निर्धारित है 2341 सीटें। प्रशाखा पदाधिकारियों के 1313 सीटों के एवज में महज 726 कार्यबल ही तैनात है। राज्य गठन के बाद सचिवालय सहायकों के नियुक्ति के लिए हुई महज दो परीक्षाएं सरकार ने हर साल इस पद पर कम से कम 100-100 नियोजन का किया था दावा। राज्य के 43 नियोजन कार्यालयों में 3,30,055 बेरोजगार निबंधित है। इनमें से 2017-18 में 26170 तथा 2018-19 में महज 13590 युवाओं को विभिन्न सेक्टरों में नौकरी मिल सकी।
स्किल समिट 2018 के दौरान 26,684 युवाओं को और स्किल समिट 2019 के तहत 1,06,619 युवाओं को निजी सेक्टरों में नौकरी दिलाने के दावा भी फर्जी साबित हुआ। इस आयोजन में बस पैसों को बंदरबांट किया गया।
बेरोजगारों को साल में कम से कम 100 दिनों के रोजगार की गांरटी देने वाले गरीबी उन्मूलन की सबसे सशक्त योजना मनरेगा का हाल झारखंड में बेहाल है। पूरे देश में झारखंड और बिहार ही दो ऐसे राज्य हैं, जहां मनरेगा में मजदूरों को सबसे कम मजदूरी मिल रही है। केरल जैसे राज्य में जहां इसी कार्य के लिए मनरेगा मजदूरों को 291 रूपये प्रतिदिन दिए जा रहे हैं, वहीं झारखंड में यह दर महज 171 (170.94) रूपये है।
पिछले तीन वर्षों की बात करें तो राज्य के लिए प्रभावी मजदूरी में केन्द्र स्तर से एक एक रूपये की वृद्धि की गई है। बरहाल इस मद में न्यनतम मजदूरी 239 रूपये भी मयस्सर नहीं होने से काम के प्रति यहां के मजदूरों का रूझान घटता जा रहा है। 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देने वाले इस कानून के तहत गत वितीय वर्ष में महज 1.09 फीसदी जाॅब कार्डधारियों को ही 100 दिनों को रोजगार मिल पाना इसकी बानगी है।
चालू वितीय वर्ष के बात करें तो महज 12400 मजदूरों को ही 100 दिनों का काम मयस्सर हो सका है। अन्य प्रमुख राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में मनरेगा मजदूरों की दी जा रही मजदूरी की बात करें तो गांव में 254 रूपये, कर्नाटक में 249, पंजाब में 241, मणिपुर में 219, मिजोरम व आंध्रप्रदेश 211, अंडमान में 250, निकोबार में 264, लक्षदीप में 248,पुंडूचेरी में 229, गुजरात में 199 रूपये है।
सरकार की परिकल्पना राज्य की आधी आबादी को स्वरोजगार से जोड़कर उनके परिवारों को सामािजक और आर्थिक रूप से सशक्त करने की है। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन सरकार की इस सोच को मूर्त रूप देने में वरदान साबित हो सकता था अगर सरकार की नियत ठीक होती तो हमारी माता बहने आज सशक्त होती पर ऐसा नहीं हुआ। मिशन के तहत संचािलत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के तहत राज्य के 263 प्रखंडों में मिशन के तहत अबतक दो लाख दो हजार सखी मंडलों का गठन किया जा चुका है जिसका उपयोग बीजेपी अपने पार्टी के प्रचार प्रसार और रैलीओ में भिड़ जुटाने के लिए करती है ऐसा ही एक मामला कूटे गांव से प्रकाश में आया है।